Monika garg

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लेखनी कहानी -03-Jul-2023# तुम्हें आना ही था (भाग:-19)#कहानीकार प्रतियोगिता के लिए

गतांक से आगे:-


भूषण प्रसाद स्टडी रूम में चले गए और पीछे पीछे राज भी चला गया। वहां दोनों एक दूसरे के सामने बैठे और उससे बात पर विचार करने लगे तभी भूषण प्रसाद बोले,

"राज तुम रात को किशनलाल के पीछे पीछे गये थे ।"


" जी अंकल "

"इसका मतलब किशनलाल की बेटी परी ही पिछले जन्म में चंद्रिका थी ।जो राज नर्तकी थी ।"


"जी अंकल इन सबसे तो यही लग रहा है ।"


"पर मैं तुम्हें एक बात बताना चाहता हूं ।"


"क्या अंकल?"


"उस दिन जब तुम और मैं लाल हवेली गये थे ना तो तुम्हें घुंघरू की आवाज आ रही थी जिसके वशीभूत हो कर तुम छप्पर सीढियां चढ़ने लगे जब की मुझे कोई आवाज नहीं आ रही थी ।तुम बार बार यही कह रहे थे कि कोई। घुंघरू बजा रहा है।फिर तुम ऐसे चलने लगें जैसे कोई नींद में चलता है और तुम ऊपर वाले कमरे में जाकर पता है क्या बोले?"


"क्या अंकल ?"


"यही "चंद्रिका लो मैं  आ गया । देखो तुम्हारा देव आ गया।"


"आप क्या बात कर रहे हैं अंकल ऐसा कैसै हो सकता है। "


"हां हां मैं सच कह रहा हूं और फिर तुम ऊपर वाले कमरे में चले गये और बेहोश हो गये।"


"इसका मतलब है अंकल देव और चंद्रिका का पुनर्जन्म हो गया है  और किशनलाल की बेटी चंद्रिका है और मैं देवदत्त?"


"हां हां परिस्थितियां तो यही इशारा कर रही है और बाकि आज शास्त्री जी बताएंगे।"


राज का सिर चक्कर खाने लगा ।एक तो रात की नींद और ऊपर से सरप्राइज पर सरप्राइज मिलते जा रहे थे उसे ।कभी उस लड़की का कोठी पर आना कभी लाल हवेली के बाहर ।उसने अच्छे से नाश्ता भी नहीं किया जबकि नयना ने उसके पसंद की सभी चीजें बनाई थी ।वह झल्ला कर बोली,

"पापा क्या बात है ? इधर आप सारा दिन किसी उधेड़बुन में रहते हैं उधर राज खोया खोया सा रहता है ।ऐसा क्या मिला है उस तहखाने में?"


जब नयना ऐसे बोली तो भूषण प्रसाद को सारी बात नयना को बतानी ही पड़ी।वे बोले,"

"बिटिया हमें उस तहखाने में एक तस्वीर मिली थी उसमें हूबहू राज की शक्ल वाला एक लड़का बैठा था किसी नर्तकी के साथ ।तभी मैंने आनन फानन में राज को शहर से बुलाया ।और जो लड़की उस तस्वीर में थी उस बसे राज की मुलाकात बड़ी ही रहस्यमय तरीके से हुई थी ।वो राज की कार में बैठकर लाल हवेली तक आई थी ।पहले तो राज ने उसे भूत प्रेत समझा था क्योंकि मैंने राज को बताया था कि वहां चौकीदार के अलावा कोई नहीं रहता।फिर वो  महल के खंडहर में तो कभी कोठी में दिखाई देने लगी ।वो बेचैन है बिटिया ।"


"इसका मतलब है पापा  किशनलाल अंकल की बेटी परी "चंद्रिका" और अपना राज देव हैं।ये तो पुनर्जन्म का मामला है अब तो सब कुछ देखना ही पड़ेगा।"



"तभी तो कह रहा हूं कि तुम्हें समझ नहीं आयेगा। राज नर्तकी चंद्रिका देवदत्त की पूर्वजन्म की प्रेमिका थी और देवदत्त एक मूर्तिकार।बाकि तुम आज जब शास्त्री जी आये तो हमारे साथ स्टडी रूम में बैठना क्योंकि लाल हवेली से एक किताब मिली है वो संस्कृत में है जिसे शास्त्री जी पढ़कर सुना रहे हैं। बिटिया शास्त्री जी बहुत पहुंचे हुए हैं वो किताब पर हाथ रखकर ही बता रहे थे। कि उस समय क्या हुआ था।"


यह सुनकर नयना को भी उत्सुकता हुई वैसे वो भूत प्रेतों की बातों से डरती थी लेकिन जब बात राज की हो रही हो तो नयना की उपस्थिति ज़रूरी थी।

        


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इधर किशनलाल जब परी को उठाकर घर लाया तो उसने वहीं राज नर्तकी के कपड़े पहन रखे थे ।सारा गली पड़ोस पूछने आ गया कि परी को क्या हुआ ?


चम्पा ने बड़ी मुश्किल से बात। सम्हाली,"वो परी अपनी बुआ के यहां दूसरे गांव गयी थी वहां पर कोई नाटक मंडली नाटक करवा रही थी । हमारी परी ने भी उसमें एक नर्तकी का रोल किया था ।ये अचानक स्टेज पर बेहोश हो गयी इसलिए इसके बापू इसे उसी हालत में घर ले आये ।"


कहने को तो चम्पा ने ये सब कह दिया पर उसका मन ही जानता था जब से उसने रात को परी का वो रूप देखा था तब से उसके होश उड़े हुए थे ।उसे ऐसे लग रहा था जैसे कोई जिन्न या प्रेत उसकी बेटी के पीछे पड़ा है और वो उसे ले जाकर ही दम लेगा ।पहले तो परी को इस तरह का दौरा साल में एक दो बार ही पड़ता था लेकिन जब से वो अपने मायके के गांव आई थी तब से तो ये दौरा उसे हर दूसरे तीसरे दिन पड़ जाता था।

   उसने किशनलाल से भी ये बात छुपाई थी कि वो जब भी मायके आती थी परी को लेकर तो वो घंटों लाल हवेली  के दरवाजे पर खोयी खोयी बैठी रहती थी और कभी कभी तो बेहोशी की हालत में ही उसके बाबा उसे घर लाते थे और कहते थे,"अरी चम्पा बेटी लगता है परी किसी ऊपरी झपट में आ गई है।पता नहीं इसे क्या हो जाता है लाल हवेली के पास जाते ही।"

पर उन्हें क्या पता था कि ये तो जन्मों जन्मों का बंधन था शरीर बदल चुके थे पर आत्माएं  तो वहीं थी एक दूसरे का इंतजार करती ,तड़पती ,अपने प्रियतम को खोजती ।उस जन्म में तो मिलन नहीं हो सका लेकिन इस जन्म में भी पूरी

कोशिश थी कि किसी तरह से प्रियतम से मिलन हो जाए और आत्मा को चैन मिले।ओह चंद्रिका कोई इतना भी किसी से प्यार कर सकता है जो मर कर दूसरा जन्म लेने के बाद भी याद रहे अपना प्रिय।


कहानी अभी जारी है……….





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1 Comments

Milind salve

14-Aug-2023 01:48 PM

Nice 👌

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